महिला दिवस 2022 में कब है | When is Womens Day in 2022

महिला दिवस 2022 में कब है | When is Womens Day in 2022 :->हर वर्ष महिला दिवस बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इंडियन महिलाओं द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में जो उपलब्धियां हासिल की है और या उनका जो उन क्षेत्रों में योगदान है उसके ऊपर उनका जश्न मनाया जाता है।और इस दिन महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के बारे में भी लोगों को जागृत किया जाता है।

महिला दिवस 2022 में कब है | When is Womens Day in 2022 |day 2022 अतररषटरय महल दवस

इस वर्ष यानी 2022 में महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जा रहा है। 8 मरच क अतररषटरय महल


प्रारंभ तिथि: 08 मार्च 2022 | प्रारंभ समय: 10:00 यूटीसी -05:00
अंतिम तिथि: 08 मार्च 2022 | समाप्ति समय: 11:30 यूटीसी -05:00
स्थान: आभासी(Virtual), संयुक्त राष्ट्र वेबटीवी
(UN web TV)

पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया गया था?|When was the first International Women’s Day celebrated?:-

वर्ष 1911 में पहला अंतरिक्ष महिला दिवस का समारोह हुआ था। तब से यह हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की महिला ने कहा है कि 2022 में अगर हमें जलवायु परिवर्तन से निपटना है तो सभी लोगों को लैंगिक समानता के प्रति जागरूक और इस को अपनाना होगा। उनका मानना है कि लैंगिक समानता के बिना हम भविष्य की कल्पना नहीं कर सकते। और हम बहुत बहुत पीछे छूट जाएंगे।

महिला दिवस मनाने का प्राथमिक विषय क्या है? इसका विषय है कि स्थाई कल के लिए आज लैंगिक समानता है।

एक और रोचक बात की इस वर्ष आरडब्ल्यूडी पालन उन महिला और स्त्रियों के लिए है जो जलवायु परिवर्तन अनुकूल के लिए प्रतिवर्ष हर रोज काम करते हैं। अस्थाई वेज बनाने के लिए इस धरती में अपनी कॉन्ट्रिब्यूशन दे रहे हैं। अस्थाई ब्रिज बनाने के लिए अपने द्वारा अपनी भूमिका तय कर रहे हैं।

महिला दिवस 2022 में कब है | When is Womens Day in 2022

हम क्यों मनाते हैं महिला दिवस?|Why do we celebrate Women’s Day?|

  • महिलाओं द्वारा की गई उपलब्धियों पर जश्न मनाना।
  • लैंगिक समानता के मुद्दे को उठाना।
  • समाज में जागरूकता ले आना।
  • औरतों को सशक्तिकरण करना।

महिला दिवस पर कविता | poem on womens day

*फूल जैसी कोमल नारी…….

फूल जैसी कोमल नारी, कांटो जितनी कठोर नारी||
अपनो की हिफासत मे सबसे अव्वल नारी||
दुखो को दूर कर, खूशियो को समेठे नारी||
फिर लोग क्यो कहते तेरा अत्सित्व क्या नारी||
जब अपने छोटे छोटे व्खाइशो को जीने लगती  नारी||
दुनिया दिखाती है उसे उसकी दायरे सारी||
अपने धरम मे बन्धी नारी, अपने करम मे बन्धी नारी||
अपनो की खूशी के लिये खुद के सपने करती कुुरबान नारी||
जब भी सब्र का बाण टूटे तो सब पर भारी नारी||
फूल जैसी कोमल नारी, कांटो जितनी कठोर नारी||

*मैं नारी सदियों से

मैं नारी सदियों से||
स्व अस्तित्व की खोज में||
फिरती हूँ मारी-मारी||
कोई न मुझको माने जन||
सब ने समझा व्यक्तिगत धन||
जनक के घर में कन्या धन||
दान दे मुझको किया अर्पण||
जब जन्मी मुझको समझा कर्ज़||
दानी बन अपना निभाया फर्ज़||
साथ में कुछ उपहार दिए||
अपने सब कर्ज़ उतार दिए||
सौंप दिया किसी को जीवन||
कन्या से बन गई पत्नी धन||
समझा जहां पैरों की दासी||
अवांछित ज्यों कोई खाना बासी||
जब चाहा मुझको अपनाया||
मन न माना तो ठुकराया||
मेरी चाहत को भुला दिया||
कांटों की सेज़ पे सुला दिया||
मार दी मेरी हर चाहत||
हर क्षण ही होती रही आहत||
माँ बनकर जब मैनें जाना||
थोडा तो खुद को पहिचाना||
फिर भी बन गई मैं मातृ धन||
नहीं रहा कोई खुद का जीवन||
चलती रही पर पथ अनजाना||
बस गुमनामी में खो जाना||
कभी आई थी सीता बनकर||
पछताई मृगेच्छा कर कर||
लांघी क्या इक सीमा मैने||
हर युग में मिले मुझको ताने||
राधा बनकर मैं ही रोई||
भटकी वन वन खोई खोई||
कभी पांचाली बनकर रोई||
पतियों ने मर्यादा खोई||
दांव पे मुझको लगा दिया||
अपना छोटापन दिखा दिया||
मैं रोती रही चिल्लाती रही||
पतिव्रता स्वयं को बताती रही||
भरी सभा में बैठे पांच पति||
की गई मेरी ऐसी दुर्गति||
नहीं किसी का पुरुषत्व जागा||
बस मुझ पर ही कलंक लागा||
फिर बन आई झांसी रानी||
नारी से बन गई मर्दानी||
अब गीत मेरे सब गाते हैं||
किस्से लिख-लिख के सुनाते हैं||
मैने तो उठा लिया बीडा||
पर नहीं दिखी मेरी पीडा||
न देखा मैनें स्व यौवन||
विधवापन में खोया बचपन||
न माँ बनी मै माँ बनकर||
सोई कांटों की सेज़ जाकर||
हर युग ने मुझको तरसाया||
भावना ने मुझे मेरी बहकाया||
कभी कटु कभी मैं बेचारी ||

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Q : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है ?

Ans: 8 march

Q : पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया गया था ?

Ans: 1911

Q: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?

Ans: Gender equality today for a sustainable tomorrow

Q:अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का संदेश क्या है?

Ans: Men’s and women are equals

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